अपने परिवार और मित्र-मँडली में हम अण्डा-मास्टर के नाम से जाने जाते हैं। यह नाम हमें यूँ ही नहीं मिला। अण्डे के व्यंजन बनाने में हमारा कोई सानी नहीं है। और हमारा आमलेट तो हमारे फलते-फूलते विशाल परिवार में हमसे ऊपर की दो और नीचे की दो पीढ़ियों में विश्वप्रसिद्ध था। अण्डे की सफेदी को … Continue reading आमलेट और हम
भानगढ़ में भूत ?
{यह कहानी पिट्सबर्ग अमेरिका से प्रकाशित द्वैभाषिक मासिक पत्रिका ’सेतु’ के फरवरी 2022 अंक में प्रकाशित हो चुकी है (setumag.com)} आप देश के किसी भी कॉफी हाउस में चले जाएँ, आपका स्वागत शोर करेगा। शोर पहचान है कॉफी हाउस की। मानो लोगों की दिलचस्पी कॉफी पीने से ज़्यादह शोर मचाने में है। पर ऐसा है … Continue reading भानगढ़ में भूत ?
Ham do bhai Aadi and Shiv
Pranaam, Namskaar, Chanaran Sparsh to all our elders in the clan. Oh! We should introduce ourselves first. I am Aadi and next to me is my identical twin Shiv. He looks belligerent but can't hurt even a fly. November 9 was an earthshaking historic day in the lives of Momma and Papa. This was the … Continue reading Ham do bhai Aadi and Shiv
काश हम रिटायर ना हुए होते
{यह लेख सर्वप्रथम पिट्सबर्ग, अमरीका से हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित द्वैमासिक पत्रिका 'सेतु' (setumag.com) के जुलाई 2021 अंक में प्रकाशित हो चुका है।} खुशकिस्मत थे हम कि जवानी के दिनों में हमें शौकत थानवी और शफ़ीकुर्र रहमान जैसे हास्य लेखकों को पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लिखते तो दोनों उर्दू में थे … Continue reading काश हम रिटायर ना हुए होते
हनुमान टीला
कस्बे का बस अड्डा। बस से उतरते ही सुनाई पड़ा, “चौधरियों का बेट्टा तूई है के?” लगा सिर पर लाठी मार दी किसी ने। धारीदार पाजामे पर हरी कमीज़ पहने एक व्यक्ति सामने खड़ा था। उसी के कण्ठ से निकली थी यह मधुर वाणी। देखता रह गया मैं उसे। “हवेल्ली जागा?” कोई उत्तर ना पाकर … Continue reading हनुमान टीला
आधा कम्बल
कुछ दिन पहले मित्र मधुसूदन (Madhusudan Singh Poems) की रचना ‘माँ-बाप’ पढ़ी। मेरी पूर्ण सहानुभूति उन बुज़ुर्गवार से है जिन्हें साठ वर्ष की आयु में इसलिए काम करना पड़ रहा था कि उनके बेटे विदेश चले गए और अपने पिता की खोज-खबर लेना तो दूर, कभी उनसे मिलने भी नहीं आए। उनकी बेटी, उसी शहर … Continue reading आधा कम्बल
छिपकली
{यह लेख सर्वप्रथम पिट्सबर्ग, अमरीका से हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित द्वैमासिक पत्रिका 'सेतु' (setumag.com) के अक्टूबर 2020 अंक में प्रकाशित हो चुका है।} लोग हमें मक्खीमार कहते हैं। इसलिए नहीं कि हम निठल्ले हैं। बल्कि इसलिए कि मक्खी मारने में हमें महारत हासिल है। मक्खी मारना हमने बचपन में ही शुरू कर दिया था। … Continue reading छिपकली
कोरोना काल
{यह लेख सर्वप्रथम पिट्सबर्ग, अमरीका से हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित द्वैमासिक पत्रिका 'सेतु' (setumag.com) के सितंबर 2020 अंक में प्रकाशित हो चुका है।} भगवान भला करे कोरोना वायरस का जिसने पिछले दो महीने से हमें घर में कैद किया हुआ है। दफ्तर जाने से तो बचे ही, हर रोज पड़ने वाली बड़े साहब की … Continue reading कोरोना काल
मथुरादास जी अमरोहा वाले
{यह लेख सर्वप्रथम पिट्सबर्ग, अमरीका से हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित द्वैमासिक पत्रिका 'सेतु' (setumag.com) के जून 2020 अंक में प्रकाशित हो चुका है।} एक मुद्दत से आरज़ू थी फुर्सत की, मिली तो इस शर्त से कि किसी से ना मिलो। शहरों का वीरां होना कुछ यूँ गज़ब कर गई, बरसों से पड़े गुमसुम घरों … Continue reading मथुरादास जी अमरोहा वाले
Judgement Day
First Published in January 2019 issue of 'Setu' (Setumag.com) He shot out of the dark alley, missed hitting Ashutosh by a whisker, stopped in his tracks, his eyes locked with Ashutosh’s for a moment, and he sprinted away like a hare. Aku, as Ashutosh’s friends called him, claimed his car parked near the clock tower … Continue reading Judgement Day