तीसरी कसम

{यह लेख सर्वप्रथम पिट्सबर्ग, अमरीका से हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित मासिक पत्रिका 'सेतु' (setumag.com) के जून 2023 अंक में प्रकाशित हो चुका है।} सोचा नहीं था कि हमारी जिन्दगी में कभी कसम खाने का मौका आएगा। पर मौका आया और हमने कसम खाई। वो भी एक नहीं तीन। हिरामन की बात और थी। वो … Continue reading तीसरी कसम

75वें जन्मदिन की सरप्राइज़ पार्टी

पत्नी की पति से अपेक्षा होती है कि पति को और कुछ याद रहे या ना रहे विवाह की तारीख और पत्नी का जन्मदिन सदा याद रहना चाहिए। पत्नियों की याददाश्त का आलम यह है कि वे पति को पानी देना भूल सकती हैं पर तारीखें कभी नहीं भूलतीं। बहुत महंगा पड़ता है पति को … Continue reading 75वें जन्मदिन की सरप्राइज़ पार्टी

आमलेट और हम

अपने परिवार और मित्र-मँडली में हम अण्डा-मास्टर के नाम से जाने जाते हैं। यह नाम हमें यूँ ही नहीं मिला। अण्डे के व्यंजन बनाने में हमारा कोई सानी नहीं है। और हमारा आमलेट तो हमारे फलते-फूलते विशाल परिवार में हमसे ऊपर की दो और नीचे की दो पीढ़ियों में विश्वप्रसिद्ध था। अण्डे की सफेदी को … Continue reading आमलेट और हम

काश हम रिटायर ना हुए होते

                      {यह लेख सर्वप्रथम पिट्सबर्ग, अमरीका से हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित मासिक पत्रिका 'सेतु' (setumag.com) के जुलाई 2021 अंक में प्रकाशित हो चुका है।} खुशकिस्मत थे हम कि जवानी के दिनों में हमें शौकत थानवी और शफ़ीकुर्र रहमान जैसे हास्य लेखकों को पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लिखते तो दोनों उर्दू में थे … Continue reading काश हम रिटायर ना हुए होते

छिपकली

{यह लेख सर्वप्रथम पिट्सबर्ग, अमरीका से हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित द्वैमासिक पत्रिका 'सेतु' (setumag.com) के अक्टूबर 2020 अंक में प्रकाशित हो चुका है।} लोग  हमें  मक्खीमार  कहते  हैं।  इसलिए  नहीं  कि  हम  निठल्ले  हैं।  बल्कि  इसलिए  कि  मक्खी  मारने  में  हमें  महारत  हासिल  है।  मक्खी  मारना  हमने  बचपन  में  ही  शुरू  कर  दिया  था।  … Continue reading छिपकली

स्वनिर्मित यंत्र से स्वयं के बाल काटिए, आत्मनिर्भर बनिए

अधिकतर  लोग  शेव  खुद  ही  बनाते  हैं  हालाँकि  कुछ  अन्य  खुद  ना  बना  कर  नाई  से  बनवाते  हैं।  ऑफिस  जाने  वाले  ज्यादातर  रोज़  शेव  करते  हैं  और  कुछ  एक  दिन  छोड़  कर।  वैसे  तो  हम  एक  दिन  छोड़  कर  शेव  करने  वालों  की  श्रेणी  में  आते  हैं  लेकिन  लॉकडाउन  में  हमने  दो  शेवों  के  बीच  … Continue reading स्वनिर्मित यंत्र से स्वयं के बाल काटिए, आत्मनिर्भर बनिए

तिल का ताड़, कँकड़ का पहाड़

कितना  सुखी  था  जीवन  जब  टेलिविज़न  पर  सिर्फ  दूरदर्शन  आता  था।   वह  भी  दिन  में  कुछ  घण्टों  के  लिए,  सुबह  और  शाम।  सीरियल  हो  या  फिल्म,  रंगोली  हो  या  समाचार,  जो  कुछ  भी  आ  रहा  हो,  परिवार  के  सभी  सदस्य  एक  साथ  देखते  थे।  एकता  बनी  रहती  थी।  देश  को  एकता  के  धागे  में  पिरोने  … Continue reading तिल का ताड़, कँकड़ का पहाड़

रहट की शहनाई

उस  दिन  अकेला  ही  कॉफ़ी  हाउस  में  बैठा  था।  पुराने  गाने  चल  रहे  थे  जिन्हें  सुनता  हुआ  मैं  अतीत  में खोया  हुआ  था  कि  अचानक  चौंक  कर  वर्तमान  में  आ  गया। "पापा,  ये  रहट  कौन  सा  म्यूजिकल  इंस्ट्रूमेंट  होता  है?" मनोज  कुमार  का  गाना  'मेरे  देश  की  धरती  सोना  उगले . . . ‘   बज … Continue reading रहट की शहनाई

जान बची और लाखों पाए

आधी रात होने को आ रही है। श्रीमती जी और हम साँस रोके दहशत में पलंग पर बैठे इंतज़ार कर रहे हैं। इंतज़ार है बारह बजने का जब हमारी यह छोटी सी गेंद, जिसे हम मानव अपना घर मानते हैं, नष्ट हो जाएगी। होनी है तो हो जाए। पृथ्वी अब पृथ्वी कहाँ रही? मानव ने … Continue reading जान बची और लाखों पाए