यादें देहरादून की

               पचास  वर्ष  के  लंबे  अंतराल  के  बाद,  दो  दिन  के  लिए  ही  सही,  जब  देहरादून  जाने  का  मौका  मिला  तो  मैंने  सहर्ष  स्वीकार  कर  लिया।  डी. ए. वी.  कॉलेज  से  पढ़ाई  पूरी  करके  जीविकोपार्जन  के  लिए  भारत  के  विभिन्न  नगरों  की  खाक  छानता  रहा  था।  कॉलेज  के  दिनों … Continue reading यादें देहरादून की

A mango tree that grew in seconds

Ruskin Bond’s ‘Why the Great Indian Rope Trick isn’t a Myth’ in Sunday Times of December 9, 2018 brought to mind a trick I saw way back in 1950 or so. Possibly around the time Ruskin Bond saw his ‘rope trick’ in Kalsi. Though not quite the rope trick, it was close enough which puts … Continue reading A mango tree that grew in seconds

साइकिल पिकनिक और सरदार जी

ये  उन  दिनों  की  बात  है  जब  ढाई  महीने  की  गर्मियों  की  छुट्टी  के  बाद  कॉलेज  आठ  जुलाई  को  खुलते  थे. बड़े  भाई  नरेंद्र  के  साथ  मैं, ताऊ  जी  की  बेटी  इंदु  और  बेटा  कृष्णा  - दोनों  मेरे  हमउम्र, कॉलेज  खुलने  से  एक  दो  दिन  पहले  पिकनिक  मनाने  साइकिलों  पर  डोईवाला  की  ओर  चल  पड़े. … Continue reading साइकिल पिकनिक और सरदार जी

एक नगर जो कस्बा बन गया

“ॐ भूर्भुवः स्व तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात॥“  गायत्री  मंत्र  के  उच्चारण  के  साथ  ही  देवी  माँ  की  प्रतिमा  की  स्थापना  का  कार्यक्रम  लगभग  समाप्ति  पर था. शेष  था  केवल  प्रसाद  वितरण  एवं  भोज. तभी,  घंटों  की  गूँज  और  शंखनाद  के  ऊपर  उठती  हुई  पुरोहित  जी  की  गंभीर  वाणी  सुनाई  पड़ी, "यह … Continue reading एक नगर जो कस्बा बन गया

जूता चुराई

जो  भी  मेरा  सफरनामा (हाल  फिलहाल  सुहाना  सफ़र से  सुहाना सफ़र 6 तक) पढ़ता  या  सुनता  है  पूछे  बिना  नहीं  रहता  कि  यह  हक़ीकत  है  या  फसाना, और  हक़ीकत  है  तो  ऐसी  लतीफना  हक़ीकत  मेरे  साथ  ही  क्यों  होती  हैं. तो  भाइयों  और  बहनों, मैं  बताना  चाहता  हूँ  कि  मेरे  सभी  क़िस्से  सच  हैं. होता  … Continue reading जूता चुराई

पंडित जी का ज्योतिष्

1960 का  दशक  ख़त्म  होते  होते  देश  में  शोर  मचने  लगा  था  कि  भारी  संख्या  में  गुलाब  के  फूल  योरोप  को  निर्यात  किए  जा  सकते  हैं. कारण?  वहाँ  की  भीषण  सर्दी  में  फूल   खिलते  ही  नहीं. क्रिसमस  जैसा बड़ा  त्योहार  बिना  फूलों  के! सोचा  भी  नहीं  जा  सकता. बताया  गया  कि  इज़राईल  जैसा  छोटा  सा  … Continue reading पंडित जी का ज्योतिष्

Deepavali goodies

Thousands of years ago Bhagwan Ram returned to Ayodhya twenty days after vanquishing Ravana, the asura king. Ayodhya, lit up with rows and rows of lamps, rejoiced His return, welcomed Him with tumultuous festivities and distributed sweets to mark the occasion. Since then, the day is celebrated as Deepavali, the festival of lights. Colourful electric … Continue reading Deepavali goodies

सुहाना सफ़र – 6

आज़ादी  के  कुछ  वर्षों  बाद  तक  भारतीय  रेल  द्वारा  यात्रा  करना  एक  मनोरंजक  अनुभव  था.  स्लीपर  क्लास  तब  होती  नहीं  थी  और  यात्री  काफ़ी  जद्दोजहद  के  बाद  डब्बे  में  प्रवेश  कर  पाते थे. गाड़ी  स्टेशन  पर  पहुँचने  से  पहले  ही  अंदर  बैठे  यात्री  किलाबंदी  करके  बहादुरी  से  आक्रामक  यात्रियों  का  मुकाबला  करते  थे. सफल  यात्री  … Continue reading सुहाना सफ़र – 6