एक लोहड़ी ऐसी भी

सभी  पंजाबी  लोहड़ी  का  त्योहार  बड़े  हर्ष  और  उल्लास  के  साथ  मनाते  हैं. यह  हर्ष  और  उल्लास  कई  गुना  बढ़  जाता  है  यदि  उसी  वर्ष  परिवार  में  कोई  नई  नवेली  दुल्हन  आई  हो  या  फिर  किसी  बच्चे  का  जन्म  हुआ  हो. सभी  सगे  सम्बंधी मित्र  आमंत्रित  होते  हैं.

ढोल  आदि  के  शोर  में  लोहड़ी  प्रज्ज्वलित  की  जाती  है, पूजा  और  पूजा  के  बाद  खील    रेवड़ी  का  प्रसाद  बाँटा  जाता  है. भांगड़ा और पंजाबी  अभिन्न  हैं. कोई भी  मौका  हो  भांगड़ा  ज़रूर  होता  हैलोहड़ी  तो  फिर  पंजाब  का  सबसे  बड़ा  त्योहार  है. भांगड़ा ना  पाया  जाए  ऐसा  हो  ही  नहीं  सकताइसलिए  ढोल  के  धमाके  के  साथ  पंजाबी  लोक  गीतों  की  धुनों  के  बीच  भांगड़ा  भी  पाया  (डालाजाता  है. इस  सबके  बीच  ही  चलने  लगता  है  पीना  और  खाना.

मुझे  ज़रा  शोर  से  परहेज़  है, इसलिए  मैं  नवजोत  के  नवजात  बेटे  की  लोहड़ी  पार्टी  में  देर  से  ही  पहुँचागाना  बजाना  तब  तक  लगभग  बंद  हो  गया  थाअधिकतर  बुजुर्ग    महिलाएँ  खाना  खा  कर  विदा  ले  चुके  थे. बाकी  बचे  थे  वो  लोग  जो  खाने  से  अधिक  महत्व  पीने  को  देते  हैं. ज़ाहिर  है  कि  उपस्थित  लोगों  की  संख्या  काफ़ी  कम  हो  चुकी  थी. फिर  भी  इतनी  थी  कि  एक  छोटा  सा  शामियाना  खाने  पीने  की  मेज़ों  सहित  उनको  अपनी  छत  के  नीचे  शरण  देने  के  लिए  नाकाफ़ी  था. अतः  आज  से  बीस  साल  पहलेजब  दिल्ली  में  वाकई  ठंड  होती  थी, 13 जनवरी  की  भीषण  ठंड  में  भी  तारों  की  छाओं  में  खुले  आसमान  के  नीचे  बहुत  से  लोग  हाथों  में  जाम  थामे  मस्त  थे. मैं  भी  उन  लोगों  में  शामिल  हो  गया

रंगीन  समाँ  थासभी  बेवड़े  थेइस  बात  से  बेख़बर  कि  बारिश  हो  कर  चुकी  थीनीचे  ज़मीन  गीली  थी  और  ऊपर  बर्फ़ीली  हवा  चल  रही  थी  हाहा  हीही  का  लुत्फ़  ले  रहे  थे. जैसा  ऊपर  कह  चुका  हूँ, पीना  अधिक  और  खाना  कम  चल  रहा थाअंततःशायद  रात  के  दो  या  तीन  बजेसर्वसम्मति  से  फ़ैसला  लिया  गया  कि  बहुत  हुआअब  सवेरा  होने  में  अधिक  समय  नहीं  है  और  सभी  को  दूर  जाना  है, इसलिए  सभा विसर्जित  की  जाएउपस्थित  गण  बाहर  जाने  के  रास्ते  की  ओर  बढ़े  ही  थे  कि  एक  कार  आकर  रुकी  जिसमें  से  एक  छोटे  कद  के  मोटे  सज्जन  प्रगट  हुएएक  नारा लगा, ‘लाल  साहब    गये‘.  जाने  वाले  लोगों  के  बीच  इधर  से  नवजोत  और  उधर  से  लाल  साहब  रास्ता  बनाते  हुए  एक  दूसरे  की  ओर  बढ़े, गले  मिले  और  एक  ज़ोर  का  धमाका  हुआ. मेरे तो कान  फट  गये  लेकिन  नवजोत  मुस्कराते  हुए  बोला, ‘एक  पटाखा  और  लाल साहब‘. लाल  साहब  ने  नवजोत  की  कनपटी  के  पास  गोली  चला  दी  थी. लाल साहब  बिना  एक  पटाखा  और  चलाए  अंदर  की  ओर  बढ़  चले

अंदर  पहुँच  कर  लाल  साहब  ने  एक  शिवाज़ रीगल  स्कॉच  और  एक  ड्यूक  सोडा  की  बोतल  निकाल  कर  मेज़  पर  रखी और  ऊँची  आवाज़  में  एलान  किया, ‘स्कॉच  सब  पिएँगेड्यूक  सोडा  सिर्फ़  मैं  पियूंगा‘.

सभा, जो  विसर्जित  हो  चुकी  थीफिर  सज  गयी

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